Bundeli Jhalak Foundation
हमारी परंपरा-हमारी पहचान
बुंदेली झलक का उद्देश्य अपनी लोक कला, संस्कृति, साहित्य और परंपराओं का संरक्षण संवर्धन करना एवं अपनी विलुप्त होती संस्कृति, लोक कलाओं और परंपराओं को पुन: स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करना ।
The objective of Bundeli Jhalak is to conserve and promote our folk art, culture, literature and traditions and to encourage the re-establishment of our extinct culture, folk arts and traditions.
कला
Art
लोक कलाएँ सांस्कृतिक रूप से आधारित कला रूप हैं जो पीढ़ियों से चली आ रही हैं। इन पारंपरिक कला रूपों में गीत, संगीत, नृत्य, कठपुतली, कहानी सुनाना और किंवदंतियां, परियों की कहानियां, लोक कविता और लोक रीति-रिवाजों के पूरे कलात्मक पक्ष भी शामिल हैं।
संस्कृति
Culture
लोक संस्कृति यानि, जन-जीवन से जुड़े आचार-विचार, रहन-सहन, विधि-निषेध, प्रथा-परंपरा, धर्म-कर्म, पूजा-पाठ, खान-पान, वेश-भूषा, और यज्ञ-अनुष्ठान धार्मिक विश्वास, धार्मिक आचरण, कर्मकाण्डों की पूर्ति, ज्ञान, व्यवहार के तरीके, आदि। .
साहित्य
Literature
लोक सहित्य का अभिप्राय उस साहित्य से है जिसकी रचना लोक करता है। लोक-साहित्य उतना ही प्राचीन है जितना कि मानव, इसलिए उसमें जन-जीवन की प्रत्येक अवस्था, प्रत्येक वर्ग, प्रत्येक समय और प्रकृति सभी कुछ समाहित है।
Big hands laying the foundation
Such great personalities who have set an example in the field of folk art, culture and literature, through their work provided a better direction to the people and taught them to love culture.
Patron
Dr. Bahadur Singh Parmar
बुंदेलखंड अंचल ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक रूप से अत्यंत समृद्धशाली है किंतु यहां की लोक संस्कृति, साहित्य, कलाओं और इतिहास को राष्ट्रीय पटल पर वह सम्मान व गौरव अर्जित नहीं हुआ जिसका वह हकदार है।
मैं लोकविद् नर्मदा प्रसाद गुप्ता की प्रेरणा से ठसकीली बुंदेली माटी की संस्कृति की ओर काम करने को प्रेरित हुआ। बुंदेली विकास संस्थान बसारी के संरक्षक श्री शंकर प्रताप सिंह मुन्ना राजा के सहयोग व संरक्षण से बुंदेली उत्सव जैसा आयोजन तथा बुंदेली बसंत के प्रकाशन से थोड़ा बहुत जितना बन सका किया।
इसी बीच दीवान प्रतिपाल सिंह जी की पांडुलिपि “बुंदेलखंड का इतिहास “ के बारह भागों के संपादन का सौभाग्य मिला। बुंदेलखंड का सांस्कृतिक व ऐतिहासिक रूप से इतना ज्ञान बिखरा है कि इसे समेटने हेतु हजारों पूतों को कई जन्म खपाने होंगे। Read More….
Patron
Dr. Saroj Gupta
बुन्देली भाषा की शक्ति और लोकजीवन के सांस्कृतिक उत्थान एवं धरोहर को समझने की आज महती आवश्यकता है । बुन्देलखंड पर कार्य महत्वपूर्ण उपक्रम है। बुन्देलखण्ड की अमूल्य थाती , पुरातन आचार- विचार, पर्व ,उत्सव, त्यौहार और बहुमुखी जीवन का अटूट प्रवाह बुंदेलखंड के ग्रामों में आज भी विद्यमान है।
इसकी तेजस्विता की लौ को युवा पीढ़ी संकल्पित भाव से महसूस कर सके, इसके लिए हमारी पूरी टीम सतत् अग्रसर है। हमारे साथ वरिष्ठ जनों का अनुभव भी है और आशीर्वाद भी।
हम सब संगठित होकर जगतगुरु विभूषित भारत का हृदयस्थल बुन्देलखण्ड का नाम विश्वस्तर पर आलोकित करने के सपने को पूरा करें। Read More….
Dynamic Foundation Administration
Gaurishankar S Ranjan
Founder/Director
मैं जागती आँखों से सपने देखने वाला और रचनात्मकता के जुनून में जीने वाला हूँ । मैं बचपन से ही रंगमंच की ओर आकर्षित हो गया था और तभी से मैं रचनात्मक गतिविधियों में शामिल हो गया। मेरे स्कूल के दिन मेरे थिएटर युग की शुरुआत थे। यह मेरे सपनों की एक यात्रा है रंगमंच से होते हुए सिनेमा के बहुआयामी आकाश को छूते हुए लोक कला, संस्कृति और साहित्य के पड़ावों से गुजरते हुए एक यायावर की यात्रा है । मंजिल तक पहुचने का प्रयास है।
सपने जो मैं खुली आँखों से सृजनात्मकता के लिए देख रहा हूँ…..। मेरा अपना विश्वास है कल ये सपने आकार लेंगे… साकार होंगे।
एक रंग यात्रा, एक अनन्त यात्रा…. लक्ष्य निश्चित है ! गंतव्य नही !……. Read More….
Powerful Support
बुन्देली झलक के निदेशक और सदस्य अपने- अपने क्षेत्र के विशेषज्ञ हैं, इनकी कार्य कुशलता और क्षमता अद्भुत है। वे अपने साहित्यिक और कलात्मक जीवन के अनुभवों से एक बेहतर दिशा देने में सक्षम है।
The Directors and Members of Bundeli Jhalak are experts in their respective fields, their work efficiency and capability is amazing. He is able to give a better direction from his literary and artistic life experiences.
Board Of Directors
Gaurav Singh Judev
Director
स्वाध्याय और अन्वेषण किये गये प्रयास और प्रयोगों से जो परिणाम प्राप्त हुए उनमें वैज्ञानिक और आध्यात्मिक गुणों के अलावा मैनें प्रत्यक्ष में नयी उर्जा के संचार की शक्ति को महसूस करके जीना भी सीखा है।
उम्र और समयानुसार विद्वजनों की संगत, संगीत और साहित्य के संसार से प्राप्त मेधा को निश्छल भाव से अपना कर्तव्य समझकर समाज व राष्ट्र की युवा पीढ़ी को विरासत सौंपने की ललक…।
इस आशय से कि हमारी धरोहरों के संरक्षण संवर्धन में किसी न किसी को तो समर्पण की आहूतियां देनी ही पड़ेगीं। जब तक सांसें चलती रहेंगी, मैं साधनारत रहूंगा और मुझे विश्वास है, सफलता भी मिलेगी। Read More….
Smt. Kalindi M Ranjan
Director
मनुष्य जिस समाज में जन्म लेता है तो वह रीति रिवाज, आचरण, भाषा और संगीत को अपनाता है। संगीत का समाज से अटूट संबंध होता है।
गाँव का विशिष्ट जीवन संगीत से परिपूर्ण है एसा देखा जाता है कि अधिकांश समारोहों और उत्सवों पर विशिष्ट लोकगीत और लोकनृत्य होते हैं गीतों की धुनों लोकनृत्य और वाद्ययों की थाप से समझ जाते है कि यह संगीत किस उपलक्ष्य में हो रहा हैं।
हमारा देश उत्सवों का देश है यह उत्सव मेरे जीवन के अंतर्मन में समाए हुए हैं इन उत्सवों में कुछ मन को छूने वाले तत्व हैं जो हमारे जीवन का प्रतिनिधित्व करते हैं और इन्हीं तत्वों में विलीन होना जीवन का सबसे बड़ा समर्पण है। Read More….
Our Thinker
Shri Vivek Mishra
साहित्य, समाज का प्रतिबिंब है। साहित्य में समाज की छवि साफ़ दिखती है। साहित्यकार, उस समय के समाज को अपनी रचनाओं में उतारते हैं। साहित्य, समाज और संस्कृति को आकार देता है।
समाज और साहित्य एक दूसरे के पूरक हैं , ये आदिकाल से लेकर आज तक एक – दूसरे पर आश्रित व एक दूसरे के प्रेरणास्रोत रहे हैं। प्राचीन काल से ही मानव की प्रकृति साहित्य सृजन की रही है।
साहित्यकार का कार्य समाज की बुराइयाँ ही दिखाना नहीं होता, बल्कि जो समाज में चल रहा है , उसको नए रूप में पेश करना होता है। उसकी आच्छाइयाँ , बुराइयाँ आदि को अपने हिसाब से समाज के सामने रखना होता है। बेहतर समाज के निर्माण के लिए ! Read More….
Founder Members
Smt. Brajlata Mishra
Poet/ Author and Singer
Jhansi (U. P.)
Dr. Devdutt Dwivedi
Poet/ Author
Chhatarpur (M.P.)
Shri Santosh Pateriya
Author / Culture Activist
Mahoba (U. P.)
Shri Anuj Hanumat
Journalist
Chitrakoot (U.P.)
Shri Jagdish Shivhare
Actor /Social Worker
Mahoba (U.P.)
Shri Govind Singh Bundela
Author / Culture Activist
Lalitpur (U.P.)
Dr. Shuchita Seth
Author / Culture Activist
Datia (M.P.)
Shri Sumit Dubey
Author / Culture Activist
Narsinghpur (M.P.)
Dr. Sunil Kumar
Author
Rajapur (U.P.)
Shri XXXX XXXX
Author / Culture Activist
XXXX (U.P.)
Dr. Shuchita Seth
Author / Culture Activist
Datia (M.P.)
Dr. Ganesh Rai
Poet/ Author
Damoh (M.P.)
Our Mentor
Shri Surendra Sinha ‘Anjali’
Poet/ Author
Chhatarpur (M.P.)
Dr. C.P. Dixit Lalit
Former HOD Hindi
Pandit Jawaharlal Nehru College Banda (U.P.)
Dr. Shriram Parihar
Former Principal
Shri Neelkanth Gove. P G College Khandava (M.P.)
Dr. Omprakash Chaubey
Author / Culture Activist
Sagar (M.P.)
Shri Devendra Singh
Historian/ Author
Jhansi (U.P.)
Shri Harivishnu Awasthi
Poet/ Author
Tikamgarh (M.P.)
Shri Prabhu Dayal Shrivastava “Piyus”
Poet & Writer
Tikamgarh (M.P.)
Shri Babulal Dwivedi
Poet & Writer
Banpur (U.P.)
Dr. Virendra Nirjhar
Poet and Author
Burhanpur (M.P.)
Shri Pramod Dixit “Malay”
Poet/ Author
Atarra Banda (U.P.)
Shri Prabhu Dayal Shrivastava “Piyus”
Poet & Writer
Tikamgarh (M.P.)
Shri Babulal Dwivedi
Poet & Writer
Banpur (U.P.)
Smt. Prabha Vishwakarma “Sheel”
Poet and Author
Jabalpur (M.P.)
Dr. Kamini
Author
First woman to achieve D-lite of Bundelkhand, Senvada (M.P.)
Dr. Gayatri Bajpai
Professor
Chhatrasal Bundelkhand University Chhatarpur (M.P.)
Smt. Urmila Pandey
Bundeli Folk Artist
Chhatarpur (M.P.)
Shri Vinod Mishra ‘Surmani’
Author/ Culture Activist
Datiya (M.P.)
Dr. T.R. Rawat
Author/ Culture Activist
Lucknow (U. P.)
Shri Vijay Prakash Saini
Poet/ Author
Jhansi (U. P.)
Shri Mahesh Katare ‘Sugam’
Poet and Author
Bina (M.P.)
Padmashri Ramsahay Pandey
Bundeli Folk Artist
Sagar (M.P.)
Shri Chunnilal Raikwar
Bundeli Folk Artist
Karrapur (M.P.)
Shri Vishnu Pateriya
Bundeli Folk Artist
Bina (M.P.)
Shri Bindravn Rai Saral
Poet & Writers
Sagar (M.P.)
Dr Mohan Tiwari ‘Anand’
Poet & Writer
Bhopal (M.P.)
Shri Rakesh Agarwal
Journalist & Writer
Kulpahad (U.P.)
Shri Prabhu Dayal Shrivastava
Poet
Chhindwada (M.P.)
Shri Upendra Bhargav
Acharya Astrology Science
Ujjain (M.P.)
Shri Vikas Vaibhav Singh
Chityori Artist
Jhansi(U.P.)
Shri Rajeev Namdeo
Rana Lidhori
Poet & Writer
Tikamgarh (M.P.)
Shri Asharam Verma “Nadan”
Poet & Writer
Prithvipur (M.P.)
Shri Subhash Singhai
Poet
Jatara (M.P.)
Our Proud
Shri Gunsagar Sharma ‘Satyarthi’
Poet and Author
Kundeshwar (M.P)
Dr. Suresh Parag
Poet and Author
Panna (M.P)
Shri Hari Vishnu Awasthi
Poet and Author
Tikamgarh (M.P)
Dr. Durgesh Dixit
Poet and Author
Tikamgarh (M.P)
Dr. Kailash Bihari Dwivedi
Poet and Author
Tikamgarh (M.P)
Shri Ambika Prasad Divya
Poet and Author
Bhopal (M.P.)
Shri Mahesh Madhukar
Poet /Author /
Datia (M.P)
Dr. Narmada Prasad Gupta
Poet, Author & Historian
Chhatarpur (M.P)
Shri Surendra Sharma ‘Shrish’
Poet and Author
Chhatarpur (M.P)
Shri Bhiyalal Vyas
Poet and Author
Chhatarpur (M.P)
Shri Jagdish Kinjalk
Poet and Author
Bhopal (M.P)
Shri Madhav Shukla “Manoj”
Poet and Author
Sagar (M.P)
Shri Durgacharan Shukla
Poet and Author
Tikamgarh (M.P)
Shri XXXX XXXX
Poet and Author
XXX (M.P)
Shri XXXX XXXX
Poet and Author
XXX (M.P)
बुंदेलखंड का साहित्य
लेखक – आचार्य मायाराम पतंग
लेखक-डॉ बहादुर सिंह परमार
लेखक-महेंद्र कुमार नवैया
लेखक-डॉ ओम प्रकाश पाहुजा
लेखक-कन्हैयालाल अग्रवाल
कला और संस्कृति
किसी भी देश के विकास में कला और संस्कृति का महत्वपूर्ण योगदान होता है। सभी आर्थिक, सामाजिक एवं अन्य गतिविधियों में संस्कृति एवं रचनात्मकता का समावेश होता है। विविधताओं का देश, भारत अपनी विभिन्न संस्कृतियों के लिए जाना जाता है। भारत में गीत-संगीत, नृत्य, नाटक-कला, लोक परंपराओं, कला-प्रदर्शन, धार्मिक-संस्कारों एवं अनुष्ठानों, चित्रकारी एवं लेखन को सांस्कृतिक विरासत के रूप में जाना जाता है।
भारत की सांस्कृतिक विरासत, प्राचीन स्मारकों, साहित्य, दर्शन का समय पर संरक्षण एवं संवर्धन हमारी प्राथमिकता है ।
कला के सोपान
हमारी लोक शैली में अनेक प्रकार की कलाएं हैं कुछ विलुप्त हो चुकी हैं, कुछ विलुप्त होने के कगार पर है । इन्हीं कलाओं के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए हम प्रयासरत हैं। आप भी हमारे साथ आयें और इस पुण्य कार्य में सहयोगी बनें ।
लोक गीत
“लोक गीत” भारतीय सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है और ये विभिन्न क्षेत्रों और समुदायों में प्रचलित हैं। ये गीत आमतौर पर स्थानीय भाषा में गाए जाते हैं और विभिन्न समुदायों की जीवनशैली, संस्कृति, और समस्याओं को छूने में सक्षम होते हैं। इनमें गायक अपनी भावनाओं, अनुभूतियों और समय की घटनाओं को व्यक्त करते हैं।
लोक नृत्य
“लोक नृत्य” भारतीय सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है जो विभिन्न भू-भागों में अपनी विविधता और स्थानीय रूपों में विकसित हुई है। इन नृत्यों में स्थानीय भाषा, संस्कृति, और परंपराएं अभिव्यक्त होती हैं। ये नृत्य लोगों के जीवन, कार्यों, त्योहारों, और समृद्धि के अवसरों को दर्शाने में सक्षम हैं।
लोक नाट्य
“लोक नाट्य” एक विभिन्न प्रकार के लोक साहित्य, संगीत और नृत्य का संयोजन है। लोक नाट्य अपने-आप में एक अलग साहित्य, संगीत, और नृत्य का संयोजन होता है, जिसमें सामाजिक और सांस्कृतिक संदेश होते हैं और जनसामान्य के साथ जुड़ाव को बढ़ावा देने का कार्य करता है।
बुन्देली शैली
बुन्देली शैली के रूप में अपभ्रंश शैली का पुनरुत्थान राजा मान सिंह तोमर (1486-1518 ई.) के दरबार में हुआ था। जो ओरछा नरेश की छत्र छाया पा कर समग्र बुंदेलखंड में 20 वी. शदी के द्वितीय चरण तक जीवित रही।
सुरौती
बुन्देलखण्ड का पारम्परिक भित्ति चित्रण है। दीपावली के अवसर पर लक्ष्मी पूजा के समय सुरैती का रेखांकन महिलाओं द्वारा किया जाता है। इस चित्र में देवी लक्ष्मी की आकृति उकेरी जाती है, वहीं भगवान विष्णु का आलेखन किया जाता है। सुरैती का रेखांकन गेरू से किया जाता है।
चित्योरी कला
बुंदेलखंड की चित्योरी कला के प्रथम ज्ञात कलाकार झांसी के श्री सुखलाल माने जाते है। श्री सुखलाल को झांसी के राजा गंगाधर राव (1843 – 53 ई.) का संरक्षण प्राप्त था। इस के पूर्व भी यह कला अस्तित्व में रही होगी।
पारंपरिक शिक्षा
Traditional Education
वर्तमान में सामाजिक और भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए हमें आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ हमारे पूर्वजों द्वारा बनाई हुई पारंपरिक शिक्षा प्रणाली को भी प्रयोग में लाना चाहिए ।
खेलपरक लोकोत्सव
Sport oriented Folk Festival
“खेलपरक लोक महोत्सव” एक सांस्कृतिक खेल गतिविधियों पर ध्यान देने के साथ पारंपरिक लोक उत्सवों को जोड़ता है जो कहीं न कहीं हमारी परंपराओं पर आधारित है । इस प्रकार का त्योहार विभिन्न खेल आयोजनों और प्रतियोगिताओं के साथ स्थानीय या क्षेत्रीय सांस्कृतिक प्रथाओं, कलाओं और परंपराओं के तत्वों को एकीकृत करता है।
स्वास्थपरक लोकोत्सव
Health oriented Folk Festival
“स्वास्थ्यपरक लोक महोत्सव” एक ऐसा आयोजन है जो स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा देने पर ध्यान देने के साथ पारंपरिक लोक उत्सवों के तत्वों को जोड़ता है। ये त्योहार आम तौर पर स्वास्थ्य संबंधी पहलुओं के साथ सांस्कृतिक और कलात्मक गतिविधियों को एकीकृत करते हैं, जिसका उद्देश्य स्वस्थ जीवन, निवारक स्वास्थ्य देखभाल और समग्र कल्याण के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।
पारंपरिक उत्सव
Traditional Festival
“पारंपरिक उत्सव” एक सांस्कृतिक आयोजन है जो किसी क्षेत्र, समुदाय, या समाज की पारंपरिक धाराओं, सांस्कृतिक विविधता, और फोल्क आर्ट्स को महसूस कराने और बढ़ावा देने के लिए किया जाता है। ये उत्सव विभिन्न प्राचीन और स्थानीय रीति-रिवाज़, संगीत, नृत्य, खानपान, और अन्य सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से समृद्धि और समृद्धि की भावना को बढ़ावा देने का उद्देश्य रखते हैं।
लोक विज्ञान
Folk Science
“लोक विज्ञान” शब्द प्राकृतिक दुनिया से संबंधित अनौपचारिक, पारंपरिक या स्वदेशी ज्ञान और प्रथाओं को संदर्भित करता है, जो एक समुदाय या संस्कृति के भीतर विकसित और प्रसारित किए गए हैं। इसमें वे तरीके शामिल हैं जिनसे लोग अपने सांस्कृतिक और स्थानीय परंपराओं के आधार पर प्राकृतिक घटनाओं को देखते हैं, समझते हैं और समझाते हैं। ये विज्ञान आज भी मौखिक रूप में लोगों के पास है।
सामाजिक समरसता
Social Harmony
“सामाजिक समरसता” एक समाज के सदस्यों के बीच संतुलन और सहयोग की स्थिति को संदर्भित करता है, जहां विभिन्न पृष्ठभूमि के व्यक्ति शांतिपूर्वक सह-अस्तित्व में रहते हैं, एक-दूसरे के मतभेदों का सम्मान करते हैं और सभी मिलकर एक -दूसरे का काम करते हैं। सामाजिक सद्भाव प्राप्त करने में विभिन्न सामाजिक, सांस्कृतिक, जातीय, धार्मिक और आर्थिक समूहों के बीच समझ, सहिष्णुता और आपसी सम्मान को बढ़ावा देना शामिल है।
सामाजिक जीवन के उत्सव
Celebrations of social life
“सामाजिक जीवन के उत्सव” विभिन्न घटनाओं और अवसरों को संदर्भित करते हैं जहां लोग अपने सामाजिक संबंधों के लिए महत्वपूर्ण अनुभवों का आनंद लेने और साझा करने के लिए एक साथ आते हैं। सांस्कृतिक और धार्मिक त्यौहार सभी को अपनी परंपराओं, विरासत का साझा जश्न मनाने का अवसर प्रदान करते हैं। ये उत्सव कई रूप ले सकते हैं और सामाजिक जीवन की समृद्धि में योगदान करते हुए विभिन्न उद्देश्यों की पूर्ति कर सकते हैं।
पारंपरिक व्यंजन महोत्सव
Traditional Food Festival
“पारंपरिक व्यंजन महोत्सव” एक ऐसा आयोजन है जो एक विशिष्ट संस्कृति, क्षेत्र या समुदाय की पाक विरासत का जश्न मनाता है और प्रदर्शित करता है। ऐसे त्योहारों के दौरान, सांस्कृतिक विविधता और पाक परंपराओं को बढ़ावा देने और संरक्षित करने के लिए पारंपरिक और प्रामाणिक खाद्य पदार्थों, साथ ही खाना पकाने के तरीकों पर प्रकाश डाला जाता है। ये आयोजन लोगों को पारंपरिक व्यंजनों की समृद्धि का अनुभव करने और उसकी सराहना करने का अवसर प्रदान करते हैं।
पारंपरिक कला-निर्माण और प्रदर्शनी
Traditional Art- Making and Exhibition
पारंपरिक कला-निर्माण और प्रदर्शनियों में सांस्कृतिक विरासत में निहित कलात्मक अभिव्यक्तियों का निर्माण, प्रदर्शन और भावनाएं शामिल होती है, ये पारंपरिक कलाएं पीढ़ियों से चली आ रही है। ये कार्यक्रम पारंपरिक कला रूपों के कौशल, तकनीक और सांस्कृतिक महत्व को प्रदर्शित करते हैं। पारंपरिक पेंटिंग, चित्रकला , मूर्तिकला और शिल्प जो किसी क्षेत्र, समुदाय विशेष, जाति विशेष के सांस्कृतिक सौंदर्यशास्त्र और प्रतीकवाद को दर्शाते हैं। जिसका आर्थिक महत्व भी है ।
What Our Supporters Say
हमारे समर्थक क्या कहते हैं
हमने कुछ विशेषज्ञों को लेकर एक सर्वे किया और हमने पाया की हम अपने कार्यक्रमों के द्वारा आने वाली पीढ़ी को और उसके जीवन को कैसे बेहतर बना सकते हैं।
दूसरों के उत्थान में हमारा उत्थान निहित है
We Rise By Lifting Others
बुन्देली झलक फाउंडेशन एक ऐसा संगठन है जिसका प्राथमिक उद्देश्य अपनी लोक कला, संस्कृति एवं परंपराओं का संरक्षण -संवर्धन करना जो लोक विज्ञान पर आधारित हैं , और इनके प्रति जनमानस को जागृत करना । एक संगठित समाज का निर्माण करना ।
Bundeli Jhalak Foundation is an organization whose primary objective is to conserve and promote our folk art, culture and traditions which are based on folk science, and to awaken the public mind towards them. To create an organized society.
लोक कला का प्रभाव
लोक कला का प्रभाव समृद्धि, सामाजिक समरसता, और सांस्कृतिक समृद्धि में देखा जा सकता है। यह विभिन्न सांस्कृतिक समृद्धियों को एक साथ जोड़ने का एक माध्यम है और समृद्धि की भरपूर सांगीतिक और कलात्मक विरासत को बनाए रखने में मदद करता है। यह एक समृद्ध और विविध सांस्कृतिक भूमि को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
इसका सामाजिक सांगीतिक संबंध लोगों को एक साथ आने और मिलने का अवसर प्रदान करता है और समृद्धि को बढ़ावा देता है।
संस्कृति का प्रभाव
संस्कृति एक समृद्ध, व्यापक, और गहरा शब्द है जिसका अर्थ होता है “सम्पूर्ण मानव सामाजिक विकास”। संस्कृति का प्रभाव व्यक्ति, समुदाय, और समाज पर विभिन्न प्रकार से होता है।
संस्कृति का प्रभाव व्यक्तिगत विकास, समाज में समरसता, धार्मिक अनुष्ठान और नैतिक मूल्यों का संरक्षण, भाषा और साहित्य का समृद्धि, कला और संगीत का सहयोग, शिक्षा और अनुसंधान में सहयोग, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पहचान पर पड़ता है।
साहित्य का प्रभाव
साहित्य मानव जीवन को समझने, अनुभव करने, और उसे समृद्धि और सामर्थ्य की दिशा में मदद करने का महत्वपूर्ण साधन है। यह विभिन्न रूपों में प्रस्तुत होता है, जैसे कि कहानियाँ, कविताएँ, नाटक, उपन्यास, गद्य, और अन्य शैलियाँ। कुछ कारगर तरीके हैं जिनसे साहित्य लोक जीवन की मदद कर सकता है।
कहानियों और कविताओं के माध्यम से लोग सामाजिक संरचनाओं, सांस्कृतिक परंपराओं, और समाज के विभिन्न पहलुओं को समझते हैं। इससे सामाजिक जागरूकता बढ़ती है ।
Our Sponsors & Contributor
हम आभार व्यक्त करते हैं उन सभी योगदानकर्ताओं का संस्कृतिक सहयोगियों का जिन्होंने लोक कला, संस्कृति, साहित्य और परंपराओं का संरक्षण संवर्धन हेतु हमें सहयोग प्रदान किया।
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बुन्देली झलक का उद्देश्य है की अपनी पुरातन लोक कला, संस्कृति, साहित्य और परंपराओं का संरक्षण संवर्धन करना और नित्य नए आदर्शों का निर्माण करना।
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बुंदेली झलक का उद्देश्य अपनी लोक कला, संस्कृति, साहित्य और परंपराओं का संरक्षण संवर्धन करना एवं अपनी विलुप्त होती संस्कृति, लोक कलाओं और परंपराओं को पुन: स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करना । हमारे सहयोगी के रूप में काम करने के लिए आपका स्वागत है